अब Birth और Death की Info छुपाना पड़ेगा महंगा! जुर्माने का बना नया Rule

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

गोरखपुर से बड़ी खबर सामने आई है! अब हर निजी अस्पताल के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि वे जन्म और मृत्यु के मामलों की जानकारी 21 दिनों के भीतर अपने संबंधित नगर निगम या नगर निकाय को दें। ऐसा न करने पर सीधे जुर्माना लगेगा।

क्यों जरूरी है यह नियम?

डॉ गौरव पांडेय (उपनिदेशक और सहायक महारजिस्ट्रार) के अनुसार, भारत में हर जन्म और मृत्यु का रिकॉर्ड बेहद अहम है — न सिर्फ व्यक्ति विशेष के लिए बल्कि नीति निर्माण में सरकार की मदद के लिए भी।

सरकारी अस्पतालों में ये प्रक्रिया स्वतः होती है, लेकिन अब निजी अस्पतालों को भी यह जिम्मेदारी निभानी होगी, और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं चलेगी।

कार्यशाला में क्या-क्या सीखा गया?

गोरखपुर नगर निगम सभागार में एक अभिमुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग, पंचायती राज और नगर निकाय के अधिकारियों ने भाग लिया।

कार्यशाला में चर्चा की गई:

  • जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया

  • विलंबित मामलों में अनुमतियाँ

  • Clerical Errors के सुधार का अधिकार

  • Technical gaps और उन्हें कैसे भरें

सीएमओ डॉ राजेश झा, अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार, और अन्य अधिकारियों ने इस कार्यशाला को सफल बनाने में मुख्य भूमिका निभाई।

जुर्माने का क्या है प्रावधान?

यदि कोई निजी अस्पताल 21 दिन के भीतर जन्म या मृत्यु की सूचना नहीं देता, तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, यदि जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र में कोई त्रुटि पाई जाती है, तो केवल रजिस्ट्रार ही उसे सही कर सकते हैं।

ग्राम पंचायत से लेकर नगर निगम तक – कौन करेगा क्या?

  • शहरी क्षेत्रों में: नगर निगम या नगर निकाय प्रमाण पत्र जारी करेगा।

  • ग्रामीण क्षेत्रों में: ग्राम पंचायत अधिकारी या ग्राम विकास अधिकारी इसके लिए ज़िम्मेदार होंगे।

यह नया नियम सुनिश्चित करेगा कि कोई भी जन्म या मृत्यु रिकॉर्ड से बाहर न रह जाए। इससे न केवल सरकार की नीतियाँ मज़बूत होंगी, बल्कि आम जनता को भी समय पर प्रमाण पत्र मिल सकेगा। अब सभी निजी अस्पतालों को चाहिए कि वे समय रहते रजिस्ट्रेशन करवाएँ, वरना सीधे जुर्माना तय है!

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